फलस्तीन का आतंकी संगठन हमास और लेबनान का आतंकी संगठन हिजबुल्लाह इजरायल में दोतरफा जंग में हैं। इन दोनों ने मिलकर इजरायल पर ऐसा हमला किया, जो उसके इतिहास में कभी नहीं हुआ था। इस हमले का जवाब देने के लिए इजरायल चाहता है कि हमास कम से कम पूरी तरह से खत्म हो जाए। इस खात्मे के लिए इजरायल ने गाजा में तबाही मचा दी है, जिसकी वजह से कुछ देश उसे दुनिया भर से घेर रहे हैं।
यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने इस सुनाने के दौरान अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों का सम्मान भी कहा, जिससे इजरायल भड़क गया और इससे दुनिया में एक छिपा हुआ राज सामने आया, जिसकी किसी ने कभी सोचा भी नहीं था।
फलस्तीन के कब्जे वाली गाजा पट्टी पर हमला हमास के खात्मे के लिए आवश्यक है। इजरायल अभी भी ऐसा कर रहा है, जिससे पिछले दो महीने में पांच हजार से अधिक लोग मारे गए हैं। यही कारण है कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने इस मुद्दे को उठाया है। एंटोनियो गुटेरस यूएन का महासचिव है।
गुटेरस ने गाजा पट्टी में इजरायल के हमले को लेकर कहा कि गाजा की हालत दयनीय है। इजरायल को हमास के साथ युद्ध रोकना चाहिए क्योंकि वहां लोगों को खाना, पानी और दवाई की जरूरत नहीं है।
मांग एंटोनिया गुटेरस ने इस्तीफा दे दिया क्योंकि इजरायल हमास को खत्म करने के लिए संघर्ष कर रहा है, इसलिए वह गुटेरस पर भड़क गया। संयुक्त राष्ट्र में इजरायल के राजदूत गिलाद एर्दान ने कहा, ‘गुटेरस ने बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों की सामूहिक हत्या को लेकर जो समझ दिखाई है, वह संयुक्त राष्ट्र का नेतृत्व करने के लिए उपयुक्त नहीं हैं। मैं उनसे इस्तीफा देने की विनतीकरता हूँ। ऐसे लोगों से बात करने का कोई औचित्य नहीं है, जो यहूदी और इजरायलियों के खिलाफ सबसे भयावह बातों पर संवेदना व्यक्त करते हैं। मेरे पास कुछ भी नहीं है।”

यूएन हमास और हिजबुल्लाह को आतंकी समूह नहीं मानता : इजरायल
कुल मिलाकर, यूएन के महासचिव गुटेरस के बयान ने इजरायल को यूएन के खिलाफ भी उकसाया है, हालांकि असली कहानी ऐसी नहीं है। वास्तविक कहानी है यूएन की स्थिति, जिसमें हमास और हिजबुल्लाह दोनों ही यूएन के लिए आतंकवादी संगठन नहीं हैं। इजरायल ने पहले से ही हमास और हेजबुल्ला को आतंकी संगठन मानते थे, लेकिन अमेरिका ने 8 अक्टूबर 1997 को दोनों को आतंकी संगठन घोषित कर दिया।
ब्रिटेन, यूरोपियन यूनियन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जापान और ऑस्ट्रेलिया भी हमास को आतंकी ही मानते हैं। लेबनान में रहने वाले हिजबुल्लाह को ये देश सिर्फ आतंकी मानते हैं। इनके अलावा, अरब लीग, अर्जेंटिना, बहरीन, कोलंबिया, जर्मनी, होंडुरस, मलेशिया, पराग्वे, सउदी अरब और यूएई को भी आतंकी मानते हैं. लेकिन संयुक्त राष्ट्र संघ, दुनिया भर में शांति कायम करने के लिए बनाया गया है, इसलिए इन दोनों को आतंकी नहीं मानता। अलकायदा और आईएसआईएस दुनिया भर में और संयुक्त राष्ट्र संघ में भी आतंकी संगठन हैं।

फलस्तीनियों को दी गई राशि हमास तक कैसे पहुंचती है?
हमास भी संयुक्त राष्ट्र संघ से धन प्राप्त करता है, जिससे वह हथियार खरीदकर इजरायल पर हमला करता है। दरअसल, यूएनआरडब्ल्यूए (यूनाइटेड नेशंस रिलीफ एंड वर्क्स एजेंसी फॉर पेलेस्टीन रिफ्यूजी इन द नियर ईस्ट) एक यूनाइटेड नेशंस संस्था है। इस संस्था का उद्देश्य फलस्तीनी शरणार्थियों की सहायता करना है।
यह संस्था यूएन के बजट से धन प्राप्त करती है, जो फलस्तीन में शिक्षा, स्वास्थ्य, राहत और कई अन्य कार्यक्रम चलाती है। यूनाइडेट नेशंस के सदस्य देशों ने 2021 में ही इस संस्था को लगभग 15 मिलियन डॉलर की सहायता दी थी। अमेरिका, जर्मनी, यूरोपियन यूनियन, स्वीडन, जापान, ब्रिटेन, स्विटजरलैंड, नॉर्वे, फ्रांस और कनाडा सबसे अधिक धन देते हैं।

HAMAS को आतंकी संगठन घोषित करने की मांग : इजरायल
फलस्तीनी शरणार्थियों को मदद करने के लिए ये सभी देश धन देते हैं। लेकिन ऐसा नहीं होता। फलस्तीन की गाजा पट्टी में पैसे आम शरणार्थियों को राहत देने के लिए पहुंचते हैं, लेकिन हमास वहां कब्जा कर लेता है। ऐसा नहीं है कि अमेरिका या इजरायल ये जानते नहीं हैं। उन्हें पता है, इसलिए रिपब्लिकन पार्टी की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार और संयुक्त राष्ट्र संघ में अमेरिकी राजदूत निक्की हेली ने बार-बार संयुक्त राष्ट्र संघ से अपील की है कि हमास को आतंकी संगठन की सूची में शामिल किया जाए।

हाल ही में इजरायल ने यूएन से पंगा लिया है, उसका असली उद्देश्य है कि यूएन हमास और हिजबुल्लाह को भी आतंकी समूहों की सूची में शामिल करे। यदि ऐसा होता है, तो गुटेरस भी ऐसा बयान नहीं दे पाएंगे।